Wednesday, February 18, 2009

Arthritis (Gathiya)

शब्द 'गठिया' का अर्थ है 'सूजन जोड़ों'. यह दो ग्रीक शब्दों, athron अर्थ जोड़ों और इसका अर्थ सूजन से आता है. यह एक भयंकर रोग प्रक्रिया है. प्रारंभिक दौर में, पूरे शरीर को आम तौर पर शामिल है और एक या दो जोड़ों पूरी तरह से विकृत हो सकती है, रोगी विकलांग छोड़कर और कुछ कमजोर हो. संधिशोथ विभिन्न रूपों, सबसे लगातार की जा रही osteroarthritis और रुमेटी संधिशोथ रखती है. सूजन गठिया का जो नुकसान या चोट के कुछ फार्म के लिए संयुक्त ऊतकों की एक प्रतिक्रिया है मुख्य विशेषता है.
Oes teroarthritis Osteroarthritis जो आमतौर पर बड़ी उम्र में होता है एक अपक्षयी संयुक्त रोग समूह है. जोड़ों में जोड़ कार्टिलेज में संरचनात्मक परिवर्तन, आमतौर से यह परिणाम उन जो वजन की रीढ़ है और घुटनों जैसे डालते रहे हैं. Oesteroarthritis के मुख्य लक्षण दर्द और कड़ापन जोड़ों में हैं. दर्द आम तौर पर व्यायाम के बाद बढ़ता है. अन्य लक्षणों में पित्त के कामकाज में पानी आँखें, सूखी गर्दन, पैर में मोच, एलर्जी, arterisclerosis, हानि-मूत्राशय और यकृत गड़बड़ी शामिल हैं. यह संभव कारणों कुपोषण, सतत शारीरिक तनाव, मोटापा, ग्रंथियों कमी, कैल्शियम की कमी और हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी शामिल है.

रुमेटी संधिशोथ रुमेटी गठिया, जो न केवल उंगलियों, writs, कूल्हों, घुटने और पैरों पर भी मांसपेशियों, tendons और शरीर के अन्य ऊतकों के जोड़ों को प्रभावित करता है एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी के synovium या जोड़ों और अंतिम कुरूपता सूजन के साथ की अस्तर का एक भड़काऊ प्रक्रिया की वजह से है. रुमेटी गठिया अक्सर "पकाया खाना रोग" कहा जाता है. यह आमतौर पर धीरे धीरे लगातार दर्द और कड़ापन एक या अधिक जोड़ों में से कई महीनों में विकसित करता है. Ulti-पूरे mately शरीर से प्रभावित है. लक्षण रक्ताल्पता, बृहदांत्रशोथ, कब्ज, पित्त की मूत्राशय गड़बड़ी, कम रक्तचाप, हाथ और पैर विकृत शामिल हैं. स्थिति हार्मोनल असंतुलन, शारीरिक और भावनात्मक द्वारा तनाव, संक्रमण का कारण हो सकता है, गंभीर भय, सदमा और चोट. वंशानुगत कारकों को भी इस रोग की शुरुआत के लिए जिम्मेदार हो सकता है.


उपचार: गठिया के रोगी alkaline लाइनों के साथ और योजना बनाई जानी चाहिए फल और सब्जियों को संरक्षण और प्रोटीन और ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट के लिए शामिल किया जाना चाहिए की खुराक. यह ताज़ा कच्ची सब्जियों की एक जोड़ी के एक सलाद और कम से कम दो पकाया सब्जियों के रूप में शामिल हो सकते हैं. गोभी, गाजर, अजवाइन, ककड़ी, endive, सलाद, प्याज, मूली, टमाटर और watercress एक कच्चा सलाद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पकाया सब्जियों asparagus, beets, फूलगोभी, पत्तागोभी, गाजर, अजवाइन, बैंगन, मशरूम, प्याज, मटर, सेम, पालक, टमाटर, स्क्वैश और turnips शामिल हो सकते हैं. गंभीर मामलों में, यह कच्ची सब्जियों का रस चिकित्सा के लिए रोगी को उचित होगा एक सप्ताह के बारे में. हरित रस, कोई भी हरी पत्तेदार सब्जियों से निकाली, गाजर, अजवाइन और लाल चुक़ंदर का रस के साथ मिश्रित, गठिया के लिए विशिष्ट है. कच्चे रस का alkaline कार्रवाई जोड़ों के आसपास जमा राशियों के संचय और अन्य ऊतकों में घुल. ताजा अनानास भी ताजा अनानास के रस में एंजाइम के रूप में, bromelain कम कर देता है और सूजन inosteoarthritis और रुमेटी संधिशोथ सूजन मूल्यवान है. बार बार हर दो महीने का रस उपवास के अंतराल पर की सिफारिश कर रहे हैं. कच्चे आलू का रस चिकित्सा एक आमवाती और arthritic की स्थिति के लिए सबसे सफल जैविक उपचार का माना जाता है. यह सदियों से लोक चिकित्सा में प्रयोग किया गया है. आलू का रस तैयारी की पुरानी पद्धति पतली स्लाइस में, त्वचा छीलने के बिना आलू की कटौती करने के लिए, गया और रातोंरात एक बड़े गिलास ठंडा पानी से भर में उन्हें जगह है. पानी सुबह खाली पेट पी रखी जानी चाहिए. ताजा रस भी आलू और नशे से निकाला जा सकता है
पानी से 50 पर जलमिश्रित: 50 आधार, पहली चीज़ सुबह को. काले कातर बीज, पानी में रातोंरात, पाया गया है अक्सर संयुक्त दर्द रोकने में प्रभावी हो भिगो. जिसमें बीज भी बीज सुबह में पहली चीज़ के साथ लिया जाना चाहिए भिगो कर रहे हैं पानी. पीने का पानी रातोंरात एक तांबे कंटेनर में भी इसी उद्देश्य की सेवा करता रहा. यह पानी तांबे का जो पेशी निशान प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है. इसी कारण भी मदद मिलेगी एक तांबे की अंगूठी या ब्रेसलेट पहनने के लिए. गर्म नारियल का तेल या सरसों का तेल, कपूर के साथ मिश्रित, कठोर और जोड़ों में दर्द के मामले में मालिश की जानी चाहिए. यह रक्त की आपूर्ति में वृद्धि होगी और कोमल गर्मजोशी जबकि मालिश उत्पादन के कारण सूजन और कड़ापन कम. Camphorrated तेल की एक प्राचीन rebefacient इस प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस बार भी समय से गठिया के लिए एक घर उपाय के रूप में प्रयोग किया गया है. इस साइट्रिक एसिड नीबू में पाया जो गठिया का मूल कारण है कि uric एसिड की सॉल्वैंट है. अन्य उपायों के जोड़ों में दर्द से राहत में उपयोगी पाया हरी-ग्राम सूप कुचल लहसुन लौंग और साथ मिश्रित शामिल एक गर्म पानी में पाउडर मेथी बीज रोज का चम्मच. सागर स्नान गठिया के उपचार में लाभदायक माना जाता है. समुद्र के पानी में प्राकृतिक आयोडीन गठिया दर्द को राहत देने के लिए कहा है. के रूप में अच्छी तरह से पता है, आयोडीन, और ऊतकों की मरम्मत के लिए बाहर पहना पुनर्जन्म और कंकाल संरचना का पोषण होता है में मदद करता है कि एसिड के रक्त और ऊतकों में alkaline संतुलन को नियंत्रित. यह थाइरोइड ग्रंथि का स्राव में प्रवेश करती है. इस हार्मोन के खून में है और रोगाणु व्यर्थ करने के लिए एक आत्म पैदा करने के लिए आंतरिक toxemia की सफाई इस आयोडीन का प्रयोग करता है. यदि समुद्र स्नान संभव नहीं है, रोगी को 30 मिनट हर रात के लिए है जो समुद्र में नमक की एक cupful मिश्रित किया गया है गर्म पानी के टब में आराम करना चाहिए. समुद्र के नमक में खनिज, विशेष रूप से आयोडीन, त्वचा के माध्यम से अवशोषित किया जा सकता है pores. यह एक आंतरिक असंतुलन दूर करने में मदद मिलेगी. शरीर को हर समय गर्म रखा जाना चाहिए. जोड़ों कसकर इस सीमा को आंदोलन के रूप में पट्टी नहीं होना चाहिए और रक्त के मुक्त संचलन में हस्तक्षेप. वहाँ परोक्ष वेंटिलेशन की बहुत शयन कक्ष में होना चाहिए. बाकी बड़ा महत्व के गठिया के लिए, जो अपने काम, व्यायाम या मनोरंजन गतिविधियों अधिक नहीं होना चाहिए है. क्योंकि यह विष प्रणाली कब्ज से परहेज किया जाना चाहिए और जलन और जोड़ों की सूजन के लिए कहते हैं. हल्की ऐसी, लंबी पैदल यात्रा पैदल और तैराकी के अभ्यास के रूप में लाभप्रद हैं. एक सामान्य शरीर के वजन को बनाए रखने में भी गठिया को रोकने में एक महत्वपूर्ण कारक है. मोटापा वजन पर अतिरिक्त तनाव स्थानों रखनेवाला जोड़ों और हस्तक्षेप tendons, ligaments और मांसपेशियों की चिकनी कामकाज के साथ. गठिया इलाज में योग आसन सहायक trikonasana, bhujangasana, shalabhasana, naukasana, vakrasana और shavasana रहे हैं. गठिया के रोगियों को नियमित रूप से इन आसन का अभ्यास करना चाहिए. Jalneti और kapalbhati और प्राणायाम anulomaviloma, ujjai और bhrameri जैसे जैसे यौगिक kriyas भी लाभदायक हैं. मरीज को कुछ दिनों के लिए से पाचन क्रिया को साफ करने के लिए एक गुनगुना एनीमा दी जानी चाहिए. तटस्थ विसर्जन स्नान, गर्म पैर स्नान, अल्ट्रासोनिक diathermy और इन्फ़रा को प्रभावित हिस्सों का जोखिम लाल रे, एक घुटने पैक एक घंटे हर रात, नदी स्नान और एक मालिश के लिए आवेदन एक बार एक हफ्ते में गठिया के उपचार में लाभदायक है. ठंडा स्नान और ठंडा स्प्रेज़ जैसे सब सामान्य ठंडे पानी उपचार, से परहेज किया जाना चाहिए.

Wednesday, November 12, 2008

आई बाबा ना लिहिलेले एक पत्र

प्रिय आई -बाबा,
साष्टांग नमस्कार... सप्रेम नमस्कार !!
कसे आहात?? माला तुमची कालजी वाटते असे नही, पण तुम्ही लोक तब्येती कड़े दुर्लक्ष खुप करता।
वय काहीही असो माणसाने positive थिंकइंग च ठेवावी।
शरीर ही देवा कडून मिलालेली सुंदर भेट आहे । त्याची नेहमी कालजी घ्यावी, जपाव, प्रेम कराव.
माज़े शरीर निरोगी आहे व नेहमीच राहणार हा विचार करावा, कधी मानत वाईट शंका, कुशंका आनु नए, आणि वाईट विचार आले तरी, लगेच चांगला सुन्दर विचार करावा किंवा मन दुसऱ्या चांगल्या गोष्ठी कड़े वळवाव ।
म्हणजे मन रोगी होत नाही आणि "मन स्वस्थ तर शरीर स्वस्थ।"

कधीच माणसाने स्वताला अयोग्य किंवा रोगी किंवा म्हातारा समजू नए कारण म्हातर होते ते फक्त शरीर, परन्तु मनाच्या तारुन्या मुले शरीराला पण शक्ति मिलते, समज्न्या वर असते ।
जो माणूस योगा। प्राणायाम करतो, जेवढा पोसिटिव विचार करतो तेवढी त्याची प्रकृति चांगली राहते।
सकाळी उठून परमेश्वराचे नाव घ्यावे, त्याला धन्यवाद द्यावा, निसर्ग कड़े बघाव, सुर्याला नमस्कार करावा।
स्वताला आरश्यात बघावे, तारीफ करावी, हसावे आणि मग कामाला लागावे।
जास्त टेंशन घेउन काम करू नयेत, जास्त त्रास होतो। आनंदी मुड ने कामे करावीत।
शेवटी विचार केला तर काम कुना साठी, टेंशन कशासाठी, खाने पिने हे सगल कुना साठी ?
नुसते जगायाचे म्हणुन 'जगने ' की व्यवश्तित, आनंदात, स्वस्थ जीवन जगने, काइ आवडेल सांगा बरे तुम्हाला?
Ayurveda ne sangitalya pramane Nisargach aapli kalaji gheto, rutu chakra jase firtat tya pramane barobar nisarga aapli kalaji gheto, tya-tya rutu madhali phale, bhajya , padartha khalle tar sharir ekdam thanthanit rahate।
अजुन स्वछ पानी हा एक रामबाण उपाय आहे भरपूर पानी प्यावे जसे बाहेर काही पण धुनासथी पानी कामी येते, तसे शरीर आतुनाही धुतले जाते.
नस्यम म्हणजे नाकात तेल घालने (शुध्ह तिलाचे २ थेम्ब ) रोज रात्रि । हा एक उत्तम उपाय आहे, डोले, नाक, कान चांगले ठेवण्याचा। त्यामुले सेंस ओरगन चांगले रहातात।
तेचाली मोलिश शरीराला कराने हा पण वाता साठी योग्य उपाय। खुप जास्त गरम, खुप ठंडा पाण्याने आंघोळ करू नए।
रोज हिरव्याभाज्या, फले खावित, रोजच्या जेवणात गोड, तिखट, आम्बत, खारट, कडू, तुरट ह्या चवी चे पदार्थ खावेत। कच्चे फल, भाज्या खाव्यात म्हणजे आरोग्य चांगले राहते। सगल बैलेंस राहते।
जास्त कशाचेही सेवन करू नए। सगळे अगदी बैलेंस ।
गव्हाच्या हिरव्या पानांचा रस हा अतिशय चांगला उपचार आहे digestive आणि शक्तीच्या प्रोब्लेम साठी, उत्तम टॉनिक आहे। त्या हिरव्या रसा मुले पाचन चांगले राहते व विटामिन ही मिलते।
आपण गौरी पेरतो तसे गहू घरातच परले तरी चालतात , त्याचे वरची पाने खुडून/ कापून रस काढायचा व पुन्हा त्याला वाढू दायचे।
कदुलिम्बाचा रस, पेरूच्या पानांचा रस (तुरट) फार चांगला असतो। तसेच दुधी भोपल्याचा रस हृदय साठी चांगला।
दुधिचा रस रोज सेवन केल्यास कोलेस्ट्रोल कमी होते, निघून जाते।
सुक्ष्म व्यायाम रोज करत जा, डोळ्याचे, कानाचे, नाकाचे व्यायाम, दंत प्राणायाम दादा आला की तो सगल शिकवेल तुम्हाला।
तुम्ही म्हणाल ही पोरगी तर बस बोर च करते बघा । पण तुम्हीच सांगा हे नॉलेज घ्यायला लोक पैसे देतात, व अतिशय कामाचे आहे हे खास करून आजच्या काळात जिथे रोगाची भरपूर मार सुरु आहे तिथे हे अगदी उपयोगाचे आहे की नाही , पहेलेच्या काळात कुठे एवढे हॉस्पिटल होते, कर लोक सुदृढ होते, आज पण त्याच सगल्या नेइसर्गिक प्रक्टिस ची, व ओउशधांची गरज आहे तेव्हाच, ही रोगराई कमी होइल। मनुष्य सुदृढ होइल.

आई-बाबा माता रानी चा आशीर्वाद मिळाला आहें दादाला, या वर्षी च पिक चांगले येणार तुमालापरानी करायला सांगितली आहेमहालाक्षी च्या कृपेने। त्या धरती माता ची जी वज तुम्ही केलि आहे त्याचे चांगले फल येइल।
आपली प्रोपर्टी मग धरती चा टुकडा असो, की पैसा असो की बंगला-गाड़ी असो, जो पण त्याची किम्मत करतो, जपतो त्याच्या वर लक्ष्मिमाता प्रसन्न होते। लक्ष्मिमाता दूसरी तीसरी कोणी नसून ही धरती च आहे जी आपल्याला धन- धान्य पासून रत्ना मानिक, वस्त्र, गृह, तेल, खनिज सगलाच देते।
फक्त तिच्यावर प्रेम असावे. देवीचे सुंदर रूप कोणत्याही स्वरूपात आपल्याला दिसते।
अरे हाँ आपल्याला वैष्णो देवीच्या दर्शनाला जायचे आहे। मार्च -अप्रैल मध्ये सगळे जाऊ। नंतर अमृतसर, केदारनाथ, हृषिकेश पण करुयात। मानत इच्छा असली की पूर्ण होते। माता ला मी ओधनी -चुनरी पाठविली होती कालच त्याचा प्रसाद आला। आता तर तिच्या दर्शनाची इच्छा पूर्ण होणारच।
चला खुप जाले ज्ञान आता थोड़े आपले-तुपले । इकडे सगल ठीक आहे, जॉब ठीक आहे, घर ठीक आहे, घर वाले ठीक आहे, छोटू कान्हा ठीक आहे सगल मजेत। तुमच्या कृष्ण साठी मी दागिने पथ्विलेत। तुमच्या घरी तर खरा कृष्ण आहे (अहो तन्मय अजुन कोण)।
आपण वयाच्या, नात्यांच्या, सांसारिक जगाच्या फंदात एवढे गुर्फतुन जातो की, आपल्याला कलतच नाही, काई आपल्या साठी चांगले व काई खरे, कई खोटे, ही लहान मुलेच खरे देव आहेत कारन ते या सगल्या बंधनांच्या पासून, दोष न पासून सध्या दूर आहेत। मस्त आहेत, नतुरल आहेत, निर्मल आहेत, भोले आहेत। हा आपला पण स्वाभाव आहे पण तो कुठे तरी विसरून गेलोत आपण। शहाने होण्याच्या नादात चांगले पण, प्रेम, निर्मलता, नेइसर्गिकता विसरून गेलो। आपले संस्कार, इमानदारी, स्वाभिमान विसरून गेलो। हे सगल परत आपणच आनु शकतो पुन्हा तसेच खेलकर, आनंदी बनू शकतो , आपल्या च हातात आहे ते । फक्त मनाशी निश्चय करायचा बास्। आहे की नही सोपी।

सत्य, प्रेम व विश्वास हे तिन गुन आज ही समजत आहेत म्हणुन भारतीय संस्कृति टिकून आहे।
खुप खुप धन्य आहे माजे जीवन की, माला असे आई- वडिल मिळाले ज्यांनी माला चांगले संस्कार, चांगले गुण, चांगले जीवन विचार दिलेत। आई- बाबा तुम्ही धन्य आहात तुम्हाला शतशा प्रणाम ।
मी तुमच्या वर खुप प्रेम करते, सगल्या वर खुप प्रेम करते। वहिनीला पण कलाजी घेत जा म्हानव तिला व तन्मय ला रोज क्रिया करायला सांगणे.
कलाजी घ्या , स्वताची सोबतच सगाल्यांची। पशु- पक्षी, जाडे- फुले, गरजू लोक, गरीब, सगळ्यात महत्वाच आपण ज्यांच्या वर प्रेम करतो त्या लोकांची मन या सग्ल्यांची कलाजी कराने पण मोठी सेवा आहे ।
जय गुरुदेव!

सगळ्यात मोठे आणि सुंदर त्याचे प्रेम, श्री हरी वर केलेले प्रेम। Divine Love!! तेच खरे प्रेम आहे। तीच भक्ति आपल्याला तारून ही नेते। सगळ्यात मोठा आधार तो आहे !! एक त्याचा आधार असला की दूसरा कुठला आधार लागत नाही। म्हणुन सगल त्याच्यावर सोपवून आपण आनंदी रहयाच, तसेही आपल्या हातात काहीच नाही आहे। खरे ना??

जय गुरुदेव तोच एक आधार। हँसा व हसवा !! पिनुला पप्पी व खुप आशीर्वाद, वहिनीला सप्रेम नमस्कार.

आपली लाडकी,

खुप सार प्रेम आणि किसेस.............!!!

स्वाती

जय गुरुदेव!

Monday, November 10, 2008

"प्रकृति, विकृति आणि आयुर्वेद"

आपल्या शरीराची प्रकृति (nature) असते समतोल राखने
आयुर - जीवन
वेदा - ज्ञान
"हेल्थ म्हणजे नुसते निरोगी असने नाही, तर फिजिकल, मेंटल, सोशल, एंड स्पिरितुअल वेल बीइंग असने म्हणजे स्वास्थ!!"
पाच मुळ तत्वंअपासून शरीर बनाले असते
१ हवा - एयर
२ पानी - वाटर
३ अग्नि -फायर
४ आकाश-ether (स्पेस)
५ भूमि - earth


त्रि दोष शरीरमध्ये असतात (तिन दोष)
१ वात (air + स्पेस, आकाश )
२ पित्त (वाटर + फायर)
३ कफा (earth +वाटर)

हे दोष संतुलित असतात तेव्हा आरोग्य चांगले राहते पण असंतुलित जाले की प्रकृति बिघडते व विकृति वाढते।

वात: (cold- air+ space) light dry usefull फॉर movements इन body.
उपवास, थंडी, अनिद्रा , ठण्ड अन्ना फल आदि मुले वाढतो
कंट्रोल:
गरम ताजे अन्ना आम्बत, गोड, खारट पदार्थ चालतात आणि मेडिटेशन, योग , आयल massag, वार्म वाटर बाथ। याने खुप फरक पडतो, वात कमी होतो.
** अवोइड कोल्ड ****

पित्ता: heat (fire + water) acidic nature

(पित्ता मुले बॉडी हीट संतुलित होते व सेंस ओरगन कार्यरत रहातात -डोळे , केश, स्किन कलर)
पित्त तिखट, आम्बत, मसालेदार पदार्थ खाल्ल्या मुले, उनात गेल्यामुले, गर्मी मुले वाढते।
कंट्रोल:
कूल, स्वीट, कडू, तुरत पदार्थ खाल्ल्याने (कच्चे फळ) , भरपूर पानी पिल्याने व व्यायाम , योगा, कोल्ड वाटर बाथ, sweeming आदि मुले कमी होतो।
***अवोइड spicy , ओइली and hot food***

कफा: (cold- water +earth)
बॉडी फ्लुइड लुब्रिकेंट, स्थिरत्व, आणि वाणी साथी शरीरात ताठ पना साठी उपयोगी आहे।
स्वीट , आम्बत, ओइली, जड़ पदार्थ मुले कफा।
कंट्रोल:
सुके पदार्थ, दूध, तंतुमय पदार्थ, तिखट, कडू, कच्चे, पदार्थान मुले कफा कमी होतो। व हैवी व्यायाम, योगा , धावने, उड्या मारने , भरपूर व्यायाम .
**अवोइड कोल्ड****

सायकल ऑफ़ त्रिदोशस इन इन डे (day)
ते १० (सकाल संध्याकाळ )--> कफा टाइम - व्यायामासाठी चांगली वेळ
१० ते २ (सकाळ संद्याकाल) --> पित्त टाइम -- जेवण - पचाना साठी चांगली वेळ
२ ते ६ (सकाळ संध्याकाळ) --> वाता टाइम - मेडिटेशन व आरामसाठी चांगली वेळ

ह्या वेळा बघुनच मनुष्याची दिनचर्या असावी।

parantu ऋतू चर्येचा माणसाच्या जीवनावर परिणाम होतो व वाता , पित्त , कफा असंतुलित होते,
mhaun samatol रखने फार आवश्यक असते
Pranayam , yoga , मेडिटेशन व योग्य आहार आवश्यक आहे समतोल राखने साठी।
अयुर्वेदाने खालील प्रमाने दिनचर्या दिलेली आहे:

लवकर उठाने (getting up early)
२ Brushing teeth (नीम )
३ Toung scrapping (जीभ घासने )
mouth wash (तोंडात पानी भरून डोळ्यावर पानी मरने)
५ Body massage (अभ्न्ग्य -तेल लाऊंन massage कराने १० min)
व्यायाम अगदी थोड़ा वेळ (हात पाय हालावाने )
स्नानं (bath)
भोजन (जेवण)
रसायन सेवना (rejuvenaters- chvanprash, aamala, triphala, yashtimadhu, asvagandha)
Triphala is good फॉर everyone, ashvagandha फॉर कफा prakriti, yashtimadhu & aamala फॉर पित्त prakriti.

१० Nasyam (oil administration from nostril- नक्पुडित २ थेम्ब तिलाचे तेल टाकने )
११ Nidra (zop)

Duparchi zop ही वाता प्रकृति साठी चांगली, पित्त प्रकृति वाले पण जोपू शकतात पण कफा प्रकृति वल्यानी नही जोपले तरी चलते। नही तर त्यहांचे वजन अजुन वाढते .
वाता असलेले व
कफा वाले यांचे nature ठंडा असते म्हणुन या लोकानी गरम जेवण , गरम पानी प्यायला पाहिजे , (AC is very bad for them)
पित्त asanaryani ठंडा जेवण, ठंडा पानी , ठंडा हवा, ठंडा panyane anghol karayala पाहिजे।
.............Sound mind इन sound body.......